लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सूर घनाक्षरी विधान,२- हिन्दी हमारी शान 3- शिक्षक समाज का दर्पण, 4-श्रद्धेयभ

भाषा एक बोली अनेक

विविध रंग और विविध बोलियां, है मेरे भारत की शान,
जब भी बोलूं मधुर कंठ से,  है हर बोली हिंदी की जान।

भारत मां की गोद में जन्मे हर बालक की  यह पहचान, हिंदुस्तान में जन्मा जो भी सिख ईसाई हिंदू मुसलमान।

धर्म अलग है, जाति अलग है, पर भाषा है एक समान,
हिंदी को सम्मान सब देते मृदुल बोली से करते पहचान।

रामचरितमानस के रचयिता महा शिरोमणि तुलसीदास, ब्रजभाषा हो या अवधी बोली बाबा का समान अधिकार।

अन्यान्य विधि से लिखते देवनागरी लिपि में भाषा हिंदी, 'अलका' लिखती खड़ी बोली में हिंदी के माथे पर बिंदी।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
 लखनऊ उत्तर प्रदेश।
 स्व रचित व मौलिक अप्रकाशित
 @सर्वाधिकार सुरक्षित।

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6 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 12:15 PM

Achha likha hai 💐

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Achha likha hai 💐

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